15122018_दैनिक जागरण |
Saturday, December 15, 2018
Cinematic voyage of Old Delhi Theaters_जगत से मोती तक का सिनेमाई सफर
ऐेसे ही सोहराब मोदी-मेहताब की "झांसी की रानी" (1956) के प्रदर्शन के समय फिल्म के प्रचार के लिए नायाब तरीका अपनाया गया था। तब हर रोज चांदनी चौक में चूड़ीदार पाजामा पहने और हाथ में तलवार लिए सिपाहियों का एक जुलूस निकलता था जो कि भारतीय वीरांगना के जीवन पर आधारित फिल्म के महत्व को दर्शाता था। बाद में 70 और 80 के दशकों में यह मनमोहन देसाई की बड़ी बजट की फिल्मों का केन्द्र बना। अमिताभ बच्चन अभितीत "देश प्रेमी" (1982) "कुली" (1983) और "मर्द" (1985) ऐसी ही फिल्में थीं, जिन्हें देखने के लिए भारी संख्या में दर्शक जुटे।
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