Sunday, February 10, 2019

Girija kumar Mathur_sartakhta_hindi poem_गिरिजा कुमार माथुर (सार्थकता)




तुमने मेरी रचना केसिर्फ एक शब्द परकिंचित मुस्का दियाअर्थ बन गई भाषा


छोटी सी घटना थीसहसा मिल जाने कीतुमने जब चलते हुएएक गरम लाल फूलहोठों पर छोड दियाघटना सच हो गई


संकट की घडियों मेंबढते अंधकार परतुमने निज पल्ला डालगांठ बना बांध लियाव्यथा अमोल हो गई

मुझसे जब मनमानातुमने देह रस पाकरआंखों से बता दियाउम्र अमर हो गई


-गिरिजा कुमार माथुर (सार्थकता)

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...