शारीरिक रोग की तुलना में मानसिक कष्ट कहीं अधिक विनाशकारी है। शारीरिक पीड़ा के लिए औषधि है, लेकिन मानसिक रोग के लिए कोई औषधि नहीं है। इसके लिए, कोई कुछ नहीं कर सकता। ईश्वर की इच्छा अनुसार ही घटनाएं होती हैं। यहां तक कि उसकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता।
-सरदार वल्लभभाई पटेल अहमदनगर किले के कारागार से अपनी बेटी मणिबेन को 16 मार्च, 1944 को लिखे एक पत्र में
Mental agony is much more disastrous than a physical ailment. For physical pain there is medicine, but there is no remedy for the mental ailment. So nobody can do anything about it. Whatever God wishes happens. Even a leaf won’t move without his wish.
-Sardar Vallabhbhai Patel to his daughter Maniben in a letter dated March 16, 1944, from Ahmednagar Fort prison
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