Saturday, July 19, 2014

Everywhere life (कहाँ-कहाँ नहीं मिली, जिंदगी)




कभी किसी मोड़ पर
दुबकी मिली
हरी घास की ओट में

कभी भीड़ भरे चौराहे पर
खड़ी दिखी
इंतज़ार भरे चेहरों में

कभी किसी नदी के घाट पर
बैठी दिखी
हिचकोले लेती लहरों में

कभी चाय के दुकान पर
बर्तन धोते
बचपन के हाथों में

कभी सड़क-किनारे पर
इंतज़ार करती
देहजीविकाओं की बेबसी में

कभी श्मशान के भीतर
पसरी मिली
निर्जीव मानव देह में

कितने रूप, कितने ठिकाने
कहाँ-कहाँ
नहीं मिली, जिंदगी

फोटो: अक्षय नागदे 

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...