हमें जीवन में तेज रफ़्तार के कारण बहुधा रास्ते में किनारे पर खड़े लोग नज़र नहीं आते, ऐसे लगता है पर होता नहीं।
हक़ीकत तो इस से दीगर होती है जो हमें नज़र आता है, हम उस पर ध्यान नहीं देते।
हम अपनी तेज़ रफ़्तार, दूसरों की अनदेखी और अपनी खुदगर्ज़ी के लिए के लिए खुद जिम्मेदार होते है।
इस सबका जिम्मेदार किसी और को मानते हुए अपनी जिम्मेदारी से बचने का स्वांग रचते हैं।
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