मेरे बोल,
मेरी फ़िक्र,
मेरा अहसास,
मेरा ख्याल,
हर जगह पाए तुझे ही,
अब मैं, मैं नहीं,
तू, तू नहीं,
न बोल,
न फ़िक्र,
न अहसास,
न ख्याल,
बस एक अनकही,
अदृश्य,
अगोचर,
उपस्थिति है!
ईश्वर
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