गुदड़ी के 'लाल' आराम-पैसे की गर्मी के ही हामी है, सड़क पर संघर्ष की उम्मीद न ही रखना बेहतर!
जब नोएडा में एक नामी चैनल ने थोक के भाव मजदूर पत्रकार निकाले थे तो 'क्रांतिकारी' ही चैनल के कर्ता-धर्ता थे.
दिन में लाला की नौकरी और रात में प्रेस क्लब में क्रांति, बेजोड़ जोड़ है टूटेगा नहीं.
टूटेगा तो केवल आपका भ्रम कामरेडों के बारे में.
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