पेशावर के सन्दर्भ में अनायास ही 'अभिमन्यु' की स्मृति हो आई! जीवन के चक्रव्यूह में 'बालक' ही वीरगति को प्राप्त होने के लिए अभिशप्त क्यों होते हैं? कुछ प्रशन अबूझ होते हैं अथवा हम ही बूझना नहीं चाहते! ऐसे में, कौन कौरव-कौन पांडव ? कहां हो गीता के गायक-नायक !
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