Abraham lincoln to the teacher of his son_अब्राहिम लिंकन अपने बेटे के स्कूल प्राचार्य को
मैं अपने बच्चे का चरित्र नहीं गढ़ सकता. वह आप कर सकते हैं. वह क्षमता आप में हैं. हमारे बच्चे को सफलता का आंनद तो बताइए, पर उससे भी महत्वपूर्ण उसे बताइए कि जीवन में विफल होने का भी आनंद है? वह जाने कि असफल होने की मन:स्थिति कैसी होती है? वह उस मन:स्थिति से गुजरे, ताकि वह अंदर से मजबूत बन सके. मेरे बच्चे को यह भी बताइए कि दुनिया में वह अकेले नहीं है. यह सृष्टि बड़ी है. वह इसका एक मामूली हिस्सा है. ताकि उसका अहंकार न बढ़े. उसको नदी, पेड़, पहाड़ से जोड़िए, ताकि वह समझे कि दुनिया कितनी विराट और भिन्न है. उसे ऐसी शिक्षा दीजिए कि जब वह नौकरी के बाजार में जाये, तो जो सबसे अधिक पैसा दे वहां अपना दिमाग गिरवी रखे, पर अपनी आत्मा कहीं गिरवी न रखे. -अब्राहिम लिंकन, अमेरिकी राष्ट्रपति, अपने बेटे के स्कूल के प्राचार्य को लिखे पत्र में
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