Monday, May 18, 2015

hazari prasad dwivedi_Balraj Sahney_-पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी-बलराज साहनी



 हिन्दी में ऐसे नवीन प्रतिभाशाली लोगों के आने की आवश्यकता है जो विभिन्न शास्त्रीय मर्यादाओं के भीतर से गुजरे हुए हैं। केवल हिन्दी की अपनी शास्त्रीय मर्यादा के भीतर से जो लोग आये हैं वे भी साहित्य-सेवा के लिए उपयुक्त ही हैं, लेकिन वे ही एकमात्र अधिकारी हैं, ऐसा मैं नहीं मानता।
 -पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी, बलराज साहनी को लिखे एक पत्र में

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