"गोबर" और "गौरी-गणेश" में फर्क_Word makes a difference between Gobar-Ganesh
गोबर-गणेश का अंतर
नाम न रहे तो "गोबर" और "गौरी-गणेश" में फर्क ही क्या है। शब्द न पाना, नाम ना पाना, अनामा रह जाना एक बहुत बड़ी व्यथा है। प्रत्येक अनुभव सार्थक होने के लिए शब्द पाना चाहता है। फर्क आया नाम के कारण। व्यक्तित्व मिला नाम के कारण। अस्तित्व तो पहले से ही था, पर इसे ‘अस्ति’ की चेतना मिली नाम के कारण।
अतः शब्द पाने की, नाम पाने की, संज्ञा पाने की साधना का ही नाम है ज्ञान-विज्ञान और सभ्यता-संस्कृति।
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