Saturday, September 30, 2017
Rajendra Prasad_Mahtma Gandhi_राजेन्द्र प्रसाद के गांधी
महात्मा गांधी जी ने हमें यह सिखाया था कि यह काम सबसे महत्व का है। यह स्थान भी जो आप के सम्मेलन के लिए चुना गया है वह भी एक महत्व का स्थान है। महात्मा गांधी जी ने यहां बहुत दिन बिताये थे और वे भी ऐसे समय में बिताये थे जब कि देश के भाग्य का फैसला होने वाला था। यहां बहुत से ऐसे फैसले किये गये जिन से देश के भाग्य का निर्णय हुआ। मैं कोशिश करूंगा कि यहां एक ऐसा स्मारक बने जो केवल ईट पत्थर का स्मारक न रहे बल्कि ऐसा स्मारक, एक शिक्षा संस्था, हो जो यहां के लोगों के दिलों में वह चीज पैदा करे जिस से आप की सच्ची सेवा हो।
इतना ही नहीं, गांधी के राम से जुड़ाव को लेकर राजघाट पर बलिदान दिवस (30/01/1951) पर राजेन्द्र प्रसाद ने कहा था कि महात्मा जी ने देश को बहुत कुछ बताया, देश को बड़ी शक्ति दी। पर महात्मा जी ने स्वयं वह शक्ति कहां से पायी जिसको उन्होंने सारे देश में और सारे संसार में इस तरह से वितरित किया? वह मानते थे कि और बार बार कहते थे और लिखते थे कि उनकी सारी शक्ति ईश्वर की दी गई है; राम नाम की शक्ति है और उसी राम नाम के बल से उन्होंने जो कुछ किया वह किया और अन्तिम शब्द भी जो उनके मुंह से निकला वह था-हे राम। महात्मा गांधी जी ने अपनी सारी जिन्दगी में जो तपस्या की थी जो काम किया था उसे उन्होंने संसार के लिये दे दिया और साथ ही साथ अन्त में उनके सामने ईश्वर का नाम लेेते हुए वह इस शरीर को छोड़ कर जो इसी स्थान पर अग्नि में जल कर भस्म हो गया फिर ईश्वर में जाकर मिल गये।
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