Wednesday, October 18, 2017

Hindi Literature_society_diwali_हिन्दी साहित्य-समाज और दीपावली

Gaganendranath Tagore (India, 1867-1938) The Illumination of the Shadow, watercolour


साहित्य समाज का दर्पण होता है पर इस दर्पण को देखने की दृष्टि भाषा देती हैं। जबकि भाषा की गहराई और विचार को वहन करने की क्षमता लोकजीवन से उसके जुड़ाव से प्रकट होती है। लोकजीवन समाज के रहन-सहन, संस्कार, पर्व-त्यौहार से बनता है और साहित्य के रूप में शब्द इन्हीं सबको एक स्थान पर पिरोकर उसे चिरस्थायी बना देते हैं।


साहित्य में जहाँ अक्षर, अविद्या के तमस को हटाकर विद्या की ज्योति जलाते हैं वहीँ दीपावली जीवन में निराशा, असफलता के अँधेरे के क्षणिक होने और संघर्ष के बाद अंत में प्रकाश के आलोकित होने का प्रतीक पर्व है। हिंदी साहित्य और दीपावली का अंतर-संबंध भी कुछ ऐसा ही है, जो कि पाठक के रूप में व्यक्ति और समूह के रूप में समाज को सकारात्मकता और भविष्य के प्रति आस्था को दृढ़ करता है।





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