Sunday, October 1, 2017

Individualism in Indian Intellact_भारतीय बौद्धिकता




पश्चिम से उधारी की परंपरा वाली आज देश की कथित आधुनिक भारतीय बौद्धिकता के बौद्धिकों के अपने-अपने अलग चर्च हैं.
हर चर्च का एक अलग पादरी है!
सो, ईसाई पंथ की तरह एक कैथोलिक प्रोटोस्टेंट के गिरजे में नहीं जा सकता तो सीरियन चर्च दूसरे पंथ को अपने बराबर नहीं मानता.

सो, जनता तो किसी गिनती में ही नहीं है. 

सो, जो जितना ऊँचा है वह उतना अकेला है.

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