हिंदुस्तान में भी एक अजीब बात है, किसी के देहांत के बाद हमें मृतक व्यक्ति की सभी अच्छाईयों का अचानक स्मरण बोध होने लगता है। ये सब बातें, अगर वह व्यक्ति जीवित रहते ही जान लें तो शायद कुछ समय और जी जाएँ। अगर इतना भी न हो तो कम से कम उसे समाज के उसके गुण-स्वीकार्यता के कारण सहज भाव से जीवन त्यागने में सहायता मिलेगी।
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