Sunday, July 14, 2019

Garden Of Five Senses_Saidulajab garden_सैयद-उल-अजैब गार्डन



बढ़ते शहरीकरण और वायु प्रदूषण जैसी लगातार पर्यावरणीय चुनौतियों के बावजूद दिल्ली में असंख्य पेड़ों की उपस्थिति एक संजीवनी का काम करती है। आज के दौर में जलवायु को नियंत्रित रखने के साथ महानगर को सांस लेने लायक बनाए रखने में पेड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इतना ही नहीं, पेड़ मानवों के अलावा बड़ी संख्या पक्षियों, तितलियों और कीटों आदि को रहने के लिए स्थान और भोजन उपलब्ध करवाते हैं।


दक्षिणी दिल्ली की मानवीय शहरी बसावट के बीच गार्डन ऑफ फाइव सेंसिज़, अनेक प्रकार के वृक्षों की प्रजातियों का ठौर है। इस हरीतिमा में पेड़ों के अलावा कई दूसरे पौधों की उपस्थिति भी है, जिनमें से कुछ यहां के लिए प्राकृतिक है तो कुछ को बाहर से लाकर लगाया गया है। इस गार्डन के डिजाइन के अनुरूप इसका काल्पनिक नाम गार्डन ऑफ फाइव सेंसिज़ रखा गया है। एक तरह से कहा जा सकता है कि दि सेंसिज़ केवल एक पार्क न होकर एक ऐसा स्थान है, जहां नागरिक विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भागीदार बनने के साथ प्रकृति से भी समरस हो सकते हैं। यह गार्डन रंग, सुगंध, संरचना और रूप के हिसाब से ऐसा लगता है मानो सभी कुछ सिमटकर फूलों के एक गुलदस्ते में समा गया है। संक्षेप में यह जीवन की सुंदरता से परिचय करवाते हुए ध्वनि, स्वाद, दृष्टि, स्पर्श और गंध के विषय में एक अनुभूति देता है। दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम की ओर से विकसित इस परियोजना का मूल उद्देश्य शहर को एक मनभावन स्थान उपलब्ध करवाना था। जहां नागरिक सामाजिक मेलमिलाप के साथ सहज रूप से शांति की अनुभूति प्राप्त कर सकें। महरौली विरासत क्षेत्र के समीप सैयद-उल-अजैब गांव में स्थित बीस एकड़ वाले इस दर्शनीय गार्डन का उद्घाटन फरवरी-2003 में हुआ था।


यह बाग विशिष्ट क्षेत्रों में विभाजित है। इसके घुमावदार रास्ते की एक तरफ खास बाग है, जिसे बाकायदा मुगल गार्डन की तर्ज पर तैयार किया गया है। इस बाग में धीमी गति से चलने वाले फव्वारों के साथ बने रास्ते में खुश्बूदार फूलों वाली झाड़ियां और अनेक प्रकार के पेड़ लगे हैं।


हाल में ही निगम ने इस गार्डन के वृक्षों सहित प्राकृतिक संपदा की जानकारी नागरिकों को देने के लिहाज से एक 40 पृष्ठों की लघु पुस्तिका प्रकाशित की है। "ट्रिज ऑफ़ गार्डन ऑफ़ फाइव सेंसिज़" नामक से प्रकाशन को इंटैक ने तैयार किया है। पुस्तिका के अनुसार, यहां पर कल्पवृक्ष, कदंब, नीम, कचनार, ढाक, अमलतास, टून, रेशम रूई, कपूर, गुग्गल, कमनदल, पांगर, बरगद, मक्खन कटोरी, पुकार, फिलकन, पीपल, जदी, कामरूप, गुलमोहर, महुआ, खिरनी, चीकू, करंज, मौलसरी, सेंजना, चीड़, चंपा, लाल गुलचिन, अशोक, कनक चंपा, चंदन, कुसुम, रूगतुरा, इमली, बादाम, बेर, मारी, ताड़ और खजूर है। जबकि प्राकृतिक वनस्पति के रूप में यहां चिरचित, ताल मुरिया, कसौंदा, कुंदूर, राॅइमुनिया, जंगली पुदिना, कांगी, गाजर घास, गोखरू, कटेरी, कंचन, सोनचला, अमरूल, छोटा गोखरू, जंगली बेर, गारूंडी, वसाक, बथुआ, दूब, अरंडी, शरफूंक, आक, बड़ी कटेरी और भृंगराज लगे हुए हैं। यहां पर इसके अलावा दूसरी प्रकार की 40 वनस्पतियां, 43 प्रकार की झाड़ियां, 11 निचाई तक उगने वाले पौधे, 35 औशधीय पौधे, 31 नागकनी और रसीले पौधे, 20 ताड़ और छह बांस के पेड़ हैं।


महरौली-बदरपुर रोड पर स्थित इस गार्डन तक येलो लाइन के साकेत मेट्रो स्टेशन पर उतरकर पैदल ही पहुंचा जा सकता है। यह गार्डन गर्मियों (अप्रैल से सिंतबर) में सुबह नौ बजे से सात बजे तक और सर्दियों में (अक्तूबर से मार्च) सुबह नौ बजे से छह बजे तक आम जनता के लिए खुलता है।


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