Monday, July 15, 2019

Love_Affeection_प्यार_प्रेम



प्यार तो होता है तो बस होता है.
कोई गुना-गणित नहीं. कोई खुरपेच, कोई दाँवपेच नहीं.
आँखों की ख़ुमारी चढ़ती है तो बस चढ़ी रहती है.
प्रेम में डूबी आँखों को जिसे देखना होता है, उसे तो देख ही लेती हैं, कदमों की आहट से, ज़िस्म की ख़ुशबू से, आवाज़ की पहचान से. इतना ही नहीं, न होने पर भी वहीं महबूब नज़र आता है, आँखों ने कोई दूसरा नहीं जो होता.
लाली देखन से लाल जो हो जाती हैं, अखियाँ.
सो, बतिया बेमानी हो जाती है.

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