वे (मनोहर श्याम जोशी) भारत में हिन्दी टी0वी0 धारावाहिकों के जनक माने जाते हैं। उनके द्वारा लिखित सोप ओपेरा ‘हम लोग‘ हिन्दी का और भारत का ऐसा धारावाहिक बना जो अपने समय में दुनिया के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले धारावाहिकों में शामिल था। ‘हम लोग‘ की विशेषता भारतीय शहरी मध्य और निम्न मध्य वर्ग की आकांक्षाओं-संघर्षों की ऐसी कहानी है, जो बेहद सहजता, शालीनता व संवेदनशीलता के साथ कही गई है। जब ‘हम लोग‘ धारावाहिक शुरू होता था तो बाहर सड़कों और गलियों में कोई नजर नहीं आता था। उन्हीं दिनों एक अखबार में ‘हम लोग टाइम‘ नाम से एक कार्टून प्रकाशित हुआ था, जिसमें मंत्री जी की सभा में किसी के भी न आने पर वे अपने सेक्रेटरी को डाँट पिलाते हैं- ‘‘किस मूर्ख ने तुम्हें सभा का यह वक्त रखने के लिए कहा था? जानते नहीं कि यह हम लोग टाइम है।‘‘ हिन्दी साहित्य के उत्तर आधुनिक काल में लिखे उनके धारावाहिकों- बुनियाद, कक्का जी कहिन, मुंगेरी लाल के हसीन सपने, जमीन आसमान, गाथा हमराही इत्यादि ने भारतीय मनोरंजन को एक नई दिशा दी एवं दूरदर्शन के क्षेत्र में भी क्रान्ति लाई। ‘बुनियाद‘ तो एक ऐसे परिवार की कहानी थी जो सन् 1947 में विभाजन के बाद भारत आया था। ‘हम लोग‘ और ‘बुनियाद‘ धारावाहिक जोशी की किस्सागोई के प्रत्यक्ष उदाहरण रहे हैं। टी0वी0 धारावाहिकों के साथ-साथ जोशी जी ने कई फिल्मों की पटकथा भी लिखी। इनमें हे राम, अप्पू राजा, भ्रष्टाचार और पापा कहते हैं इत्यादि प्रमुख हैं।
Friday, August 10, 2012
TV Serials: Joshi
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