कनाडा की नॉर्थन ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के डी अजित, हान डोंकर और रवि सक्सेना ने 1,000 निजी और सरकारी शीर्ष भारतीय कंपनियों के बोर्ड सदस्यों का अध्ययन किया है.
अध्ययन में पाया गया कि 93 प्रतिशत बोर्ड सदस्य अगड़ी जातियों से थे जबकि अन्य पिछड़ी जातियों से सिर्फ़ 3.8 प्रतिशत निदेशक ही थे.
साठ के दशक से आरक्षण नीति होने के बावजूद अनुसूचित जाति और जनजाति के निदेशक इस कड़ी में सबसे नीचे, 3.5 प्रतिशत ही थे.
शोधकर्ताओं के मुताबिक, "ये नतीजे दिखाते हैं कि भारतीय कॉरपोरेट जगत एक छोटी और सीमित दुनिया है. कॉरपोरेट जगत में सामाजिक संबंधों या नेटवर्किंग का बहुत महत्व है. भारतीय कॉरपोरेट बोर्डरूम अब भी योग्यता या अनुभव से ज़्यादा जाति के आधार पर काम करता है."
http://www.bbc.co.uk/hindi/business/2012/08/120814_indian_boardroom_ar.shtml
No comments:
Post a Comment