Thursday, November 6, 2014

dreams-Paulo Coehlo_सपना--पाउलो कोएलो




We aren't who we want to be. We are what society demands. Since we have a great need to be loved, we don't want to disappoint any one. So we smother the best in us. Gradually, the light of our dreams turn into monster of our nightmares, leading to possibilities not lived.
-Paulo Coehlo
हम अपने सपनों का प्रतिरूप न होकर समाज की इच्छानुसार ढल जाते हैं। हम प्यार को हासिल करने की अपनी हसरत के चलते किसी को भी दुखी नहीं करना चाहते। सो हम अपने भीतर के सर्वश्रेष्ठ को बिसरा देते हैं। धीरे-धीरे हमारे सपनों की रोशनी, दुःस्वप्नों के ब्रह्म राक्षस में बदल जाती है और हम अपनी संभावनाओं को जीने से ही वंचित हो जाते हैं. 
-पाउलो कोएलो

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