Friday, November 28, 2014

कविता-अरविन्द जोशी (poem: arvind joshi)




समय के चक्र पर 

नवम्बर महीना गया, 

मानो शरीर बिना छाया, 

और अब

छाया बिना काया, 


हे प्रभु, कैसी है तेरी माया

(बंधु-सखा, अरविन्द जोशी की अंग्रेजी कविता का भावानुवाद)

november drifts so
that once
some
body
with no shadow
is now
some
shadow
with no
body.



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