Wednesday, May 20, 2015

सत्ता का भाव_price of power




मत पूछ
सच का क्या भाव है ?
सत्ता के बाज़ार में.

ओंठ हिले तो कुछ नहीं,
अगर दिल बोला
सुन नहीं पाएगा भाव
सच में!

ऐसे में कभी-कभी
झूठ को ही सच मानना 
बेहतर होता है
सच में!

Tuesday, May 19, 2015

Abraham lincoln to the teacher of his son_अब्राहिम लिंकन अपने बेटे के स्कूल प्राचार्य को




मैं अपने बच्चे का चरित्र नहीं गढ़ सकता. वह आप कर सकते हैं. वह क्षमता आप में हैं. हमारे बच्चे को सफलता का आंनद तो बताइए, पर उससे भी महत्वपूर्ण उसे बताइए कि जीवन में विफल होने का भी आनंद है?
वह जाने कि असफल होने की मन:स्थिति कैसी होती है?
वह उस मन:स्थिति से गुजरे, ताकि वह अंदर से मजबूत बन सके. मेरे बच्चे को यह भी बताइए कि दुनिया में वह अकेले नहीं है.
यह सृष्टि बड़ी है. वह इसका एक मामूली हिस्सा है.
ताकि उसका अहंकार न बढ़े.
उसको नदी, पेड़, पहाड़ से जोड़िए, ताकि वह समझे कि दुनिया कितनी विराट और भिन्न है.
उसे ऐसी शिक्षा दीजिए कि जब वह नौकरी के बाजार में जाये, तो जो सबसे अधिक पैसा दे वहां अपना दिमाग गिरवी रखे, पर अपनी आत्मा कहीं गिरवी न रखे.
-अब्राहिम लिंकन, अमेरिकी राष्ट्रपति, अपने बेटे के स्कूल के प्राचार्य को लिखे पत्र में

Your remembrance_तुम्हारी याद





चाँद हर बार न देखने पर भी, तेरे वजूद की याद दिला देता है
यह अँधेरी रात का सूनापन, तेरी जुदाई को और बढ़ा देता है
चांदनी न चाहते हुए भी, तेरे उजलेपन का अहसास करा देती है
जुगनुओं की तरह टिमटिमाते मन की, उम्मीद को बढ़ा देती है

उम्र के इस मुकाम पर, सपने अधूरे कोई याद दिला देता है
इंकार करूँ कैसे उस रिश्ते से, जो गम के साए बढ़ा देता है
साथ रहे रहगुज़र की याद, बेमानी सही पर दिल को हिलाती है
तन और मन की अजीब कशमकश, उम्मीद को बढ़ा देती है

छूटा हुआ रास्ता और हाथ, भला कब वापस मिले हैं
इसका अहसास, मीलों के दरमयान को और बढ़ा देता है
उम्र के इस पड़ाव में, यह कैसी अजब-आरजू का अहसास है
जिंदगी में भूली हुई पीड़ा, उसकी उम्मीद को बढ़ा देती है

हर बार मन की सांकल का खटका, उस आवाज़ की याद दिला देता है
छोड़ आया था जिसे उस मोड़ पर, अब मन की टीस बढ़ा देता है
मेरे होने का भ्रम, मेरे वजूद पर ही सवाल खड़ा कर देता है
वह तो बस तुम्हारी याद है, जो हरदम मेरी उम्मीद को बढ़ा देती है


Monday, May 18, 2015

books_shahid meer किताबें_शाहिद मीर




किताब मंज़र, किताब चेहरे
किताब फूलों से आशनाई

किताब ही ज़ेहन की तरावट
किताब ही वज्हे-दिल रूबाई

किताब ही इब्तिदा मेरी
किताब ही आख़िरी कमाई

जहान की उलझनों से मैंने
किताब ही में पनाह पाई।

किताब ही ने जबान बख्शी
किताब ही ने खमोशियों की अदा सिखाई

किताब ही सिलसिले उम्मीदों के जोड़ती है
किताब ही सरहदों के बंधन को तोड़ती है

किताब ही वज्हे ख़्वाब लेकिन
किताब ही नींद से मुसलसल झिंझोड़ती है।

मुझे किताबों में दफ़्न करना!
बदन के नीचे भी हों किताबें

बदन के ऊपर भी हों किताबें
किताबें दाएँ किताबें बाएँ

लहद(1) कुछ इस तौर से सजाना
फ़क़त किताबों का हो सरहाना।

किताबें ही मेरा मुँह छिपाएँ
किताबें क़त्बे (2) के काम आएँ

अगर कभी क़ब्र के फ़रिश्ते करेंगे
कोई सवाल मुझसे


गए दिनों का हिसाब लेंगे
मैं चुप रहूँगा

मिरी किताबें जवाब देंगी।


1. कब्र,
2. समाधि लेख

('शबख़ून' -283 इलाहाबाद से साभार)

hazari prasad dwivedi_Balraj Sahney_-पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी-बलराज साहनी



 हिन्दी में ऐसे नवीन प्रतिभाशाली लोगों के आने की आवश्यकता है जो विभिन्न शास्त्रीय मर्यादाओं के भीतर से गुजरे हुए हैं। केवल हिन्दी की अपनी शास्त्रीय मर्यादा के भीतर से जो लोग आये हैं वे भी साहित्य-सेवा के लिए उपयुक्त ही हैं, लेकिन वे ही एकमात्र अधिकारी हैं, ऐसा मैं नहीं मानता।
 -पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी, बलराज साहनी को लिखे एक पत्र में

Friday, May 15, 2015

Karachi bus firing Ismaili_terrorism militants (कराची-इस्माइली हत्याकांड)






इस्लामी गणतन्त्र पाकिस्तान के कराची में कल सरेआम एक बस रोक कर 45 शियाओं, जिसमें 16 स्त्रियाँ शामिल थीं, को मौत के घाट उतार दिया गया ।
इस पर फ़ेसबुक से लेकर इंडिया गेट सब सूने हैं!
न तो कबूतर वाले दिख रहे हैं और न ही मोमबत्ती वाले।
बात-बात में हिन्दू समाज को सेकुलर कोड़े से पीटने वालों में ख़ामोशी तारी है ?
सोशल मीडिया ही नहीं मेनस्ट्रीम मीडिया की इस पक्ष की कम-बयानी स्वयंसिद्ध है।

Thursday, May 14, 2015

Negativity of Life_जीवन की कटुता






          कोशिश रहेगी, वैसे आजकल स्मित मुस्कान ज्यादा कठिन है, जीवन की कटुता कहीं न कहीं झलक जाती है!

ghazal_ग़ज़ल


टूटे हुए रिश्तों को सिलने की सुई नहीं होती,
घाव निशान न दे ऐसी तक़दीर नहीं होती,


मन करता है लौटने को बचपन की दुनिया में,
अफ़सोस ऐसा कोई रास्ता नहीं होता दुनिया में,


चमकती हुई दुनिया भरमाती बहुत है, दूर से
वह बात अलग है होती बहुत अलग, पास से


अब तुझको क्या बताएं आँखों में जाले कितने थे
अपने मन का फेर था या बात अलग थी


Flow of Ideology




     
धारा में 'विचार' कहीं दूर निकल गया, बस इससे ज्यादा कुछ नहीं.....

Red Star over China: Edgar Snow



 एक कम्युनिस्ट का व्यक्तिगत जीवन, एक सीमा के बाद, उसके पार्टी के इतिहास में इतना घुलमिल जाता है, कि दोनों को अलग कर पाना असंभव जान पड़ता है। यह बात बरसों पहले अमरीकी पत्रकार ऐडग्र स्नो ने अपनी पुस्तक ‘रैड स्टार ओवर चाईना’ में माओत्से तुंग से इन्टरव्यू करते समय महसूस की थी।

Wednesday, May 6, 2015

अभी से हिम्मत न हार, मेरे हमसफ़र_untold love



अभी से हिम्मत न हार, मेरे हमसफ़र
राहों में आएंगे अभी, कई रहगुज़र
जिंदगी की धूप-छांव, बढ़ेगी-घटेगी कई बार
तेरे-मेरे सब्र का, इम्तेहान होगा रुक-रुक कर

अभी से हिम्मत न हार, मेरे हमसफ़र
हर रोज़ कुछ पाना है, कुछ खोना है
सीधे दिखते रास्तों पर, एडियां घिसते चलना है
अनजानी राहों पर, हौंसला लिए बढ़ना है

अभी से हिम्मत न हार, मेरे हमसफ़र
रोशनी की तलाश में, अंधेरों को चीरना है
पाने को मंजिल साथ-साथ, हाथों में हाथ लिए रहना है
कदम भले ही डगमगाए, मन पक्का किये रहना है

अभी से हिम्मत न हार, मेरे हमसफ़र
क्या और चाहती हो, सुनना और जानना
कहकर भी जो ना कह सकूं,
तेरा प्यार ही है मेरा वजूद

अभी से हिम्मत न हार, मेरे हमसफ़र



First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...