मेरे प्रदेश राजस्थान में दिवाली से अधिक दिवाली के दूसरे दिन का महत्व होता है।
दीपावली के दूसरे दिन को राजस्थान के देहात में "रामा-क्षामा" का ही दिन कहा और माना जाता है।
जब समाज में सभी व्यक्ति एक दूसरे के घर जाकर मिलते हैं, छोटे बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं तो बराबर के गले मिलकर अभिवादन करते हैं।
सो यहाँ प्रत्यक्ष राम दशरथ पुत्र राम न होकर अभिवादन या प्रणाम के लिए प्रयुक्त होता है बाकी मूल तो उस ईश्वर का स्मरण ही है, सगुण रूप न सही निर्गुण ही सही।
No comments:
Post a Comment