आतंकवाद की स्त्रोत है, पाकिस्तानी सेना
आतंकवाद, पाकिस्तानी सेना की आधिकारिक नीति है।
कश्मीर से लेकर काबुल तक के मामलों में पाकिस्तानी सेना का यह दोगला चरित्र समान रूप से नज़र आता है।
आजादी के बाद पाकिस्तान के कश्मीर पर किए हमले में पाकिस्तानी सेना ने कबाइली आगे रखे थे तो कारगिल घुसपैठ के समय पाकिस्तानी सेना के जवानों को ही घुसपैठियां बनाया था।
आखिर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख हामिद गुल ने अफगानिस्तान के साथ ही, भारत में कश्मीरी उग्रवाद को पैसे, सामान और ट्रेनिंग से मदद देनी शुरू की थी. उसने आईएसआई की केंद्रीय नीति ही कश्मीर आतंकवाद को बना दिया था।
हामिद गुल, जनरल जिया उल हक, जो कि मुजाहिर थे, के काफी करीब था। उसने उनकी इच्छा को ध्यान में रखते हुए भारत के खिलाफ आपरेशन ‘टोपाज’ की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य 1971 की करारी हार का बदला लेना था।
इसी गरज में गुल ने लश्करे तोइबा, तालिबान सरीखे संगठन खड़े किए।
पाकिस्तान के ‘सितारा-ए-जुरत’ व ‘हिलाल-ए-इम्तियाज’ सम्मानों से नवाजे गुल को अमेरिका ने कुख्यात आतंकवादियों की सूची में शामिल करने का फैसला लिया था। उसने उसे अंर्तराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को उसका नाम भी भेजा था पर पाकिस्तान ने चीन की मदद से वीटो करवा कर उसे बचा लिया था।
उसकी मौत के बाद पाकिस्तान के एक अखबार में किसी पत्रकार ने उसे श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि हामिद गुल कभी मर नहीं सकता। आखिर आतंकवादियों का गाडफादर और अफगानियों का यह कसाई तब तक जीवित रहेगा जब तक जेहादी संगठन मौजूद रहेंगे। जब तक पाकिस्तानी सेना भारत विरोधी रवैया जारी रखेगी व अफगानिस्तान के मामले में हस्तक्षेप करती रहेंगी वह जिंदा रहेगा।
अब ऐसे में भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना के तैयार आतंकवादियों का सफाया करें या पाकिस्तानी सेना के जवानों का भारत का दुश्मन तो कम होता ही है। बाकी रावण का अंत तो अमृत नाभि में तीर मारकर ही किया जा सकता है।
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