Thursday, October 20, 2016

Life_Death_Desire_मृत्यु_इच्छा_चमड़ी



मरने के बाद क्या? 


शब्द, चिंतन, सोच सब चिता में होम हो जाते हैं, रह जाती है राख! 

सपनों, आशाओं और तृष्णाओं की अतृप्त इच्छा मन में फिर भी अशेष रह जाती है जो शायद दोबारा धरती पर आने का कारण बनती है। 

छाया को छू नहीं पाते और मन से दुःख जाता  नहीं। 

देह से देहांतर हो जाता है पर चाम की चमक जाती नहीं।


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