फेसबुक पर पढ़ते-पढ़ते एक पुराने पर अब नामचीन साथी की वाल पर काम की पंक्तियाँ मिल गई..
सो लगा साझा करनी चाहिए.
"जिससे डर लगता है, उस पर पूरी तैयारी से और अकेले हमला करो। जीत जाओगे।"
फिर लगा अगर मन मजबूत हो तो डर कैसा?
फिर हमले के लिए तैयारी का क्या औचित्य?
हमारे देश में ही जीत के लिए, सबसे बड़ा योद्धा, राममनोहर लोहिया के शब्दों में जाति का अहीर, कह गया है कि कर्म कर फल की चिंता मत कर.
जब साधु-नदी के स्त्रोत न पूछने वाले ब्राह्मणों के ज्ञान वाले देश में जाति पूछना ही पत्रकारिता का काम बचा हो तो फिर क्या कृष्ण-क्या योगी!
जब टीवी चैनल की टीआरपी के लिए दर्शकों को खबर को भोगने का स्वाद देना ही कसौटी हो गया हो तो फिर प्रस्तोता की जाति भी बता देनी चाहिए ताकि मंडल से लेकर कमंडल कोई भी भ्रम में नहीं रहेगा और बेकार में व्यथित नहीं होगा.
आखिर भीमराव आंबेडकर ने अनायास नहीं लिखा था कि "जाति है की जाती नहीं".
Monday, March 27, 2017
Caste_UP_From Krishna to Yogi_क्या कृष्ण-क्या योगी
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