दैनिक जागरण में होली पर लेख |
Saturday, March 11, 2017
दिल्ली में होली_Holi in Delhi
कोई भी त्यौहार आखिर एक जीवन पद्वति और लोक जीवन से निकलते हैं। होली हमारी निजी, पारिवारिक और सामाजिक जीवन से अवसाद के निकलने का निकासी बिंदु है। आज बेषक दिल्ली का पढ़ा-लिखा समाज होली को एक त्यौहार की जगह एक झंझट और गंवारूपन की तरह देखता है। वेलेंटाइन डे में हमारे युवा युवतियों को जो आधुनिकता और यूरोपियता दिखती है वह होली में वे नहीं पाते। आज दिल्ली में होली का उत्साह कहीं नजर आता भी है तो झोंपडपट्टियों में ही जबकि इधर मध्यमवर्गीय मोहल्लों में होली का रंग वर्ष प्रतिवर्ष और अधिक फीका हो रहा है।
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