Saturday, June 16, 2018
ali mardan nahar_कभी बहती थी अली मर्दन नहर
सत्रहवीं सदी में शाहजहांनाबाद में अली मर्दन नहर, सदात खान नहर और महल यानी लाल किला में नहर-ए-बहिश्त जोड़ी गई। 1643 में अली मर्दन खान ने सिंचाई के लिए बनी एक पुरानी नहर से पानी की आपूर्ति दिल्ली तक करने के लिए रोहतक नहर को शुरू किया था। बादशाह शाहजहां के समय में पहली बार दिल्ली अरावली पहाड़ियों से उतरकर यमुना किनारे बसी। इसी गरज से बादशाह ने शाहजहांनाबाद में लाल किला, अपनी फौज और जनता की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए इंतजाम किया। ऐसे में, अली मर्दन खां और उसके फारसी कारीगरों के जिम्मे यमुना के पानी को शहर और किले के भीतर पहुँचाने का काम आया। जबकि इससे पहले फीरोजशाह तुगलक ने खिज्राबाद से सफीदो (करनाल से हिसार) तक नहर बनवाई थी। अकबर के समय में दिल्ली के सूबेदार ने इसकी मरम्मत करवाई थी लेकिन नहर में जल्दी ही मिट्टी भर गई और इससे पानी का प्रवाह रूक गया।
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