सार्वजनिक सभा
गुमिया में संथालों के बीच भाषण के अंत में गांधी जी कहते हैं, आपको पूरी आस्था व भक्ति के साथ राम नाम लेना
सीखना चाहिये । राम नाम पढ़ने पर आप तुलसीदास से सीखेंगे कि इस दिए नाम की
आध्यात्मिक शक्ति क्या है । आप पूछ सकते हैं कि
मैंने ईश्वर के अनेक नामों में से केवल राम नाम को ही क्यों जपने के लिए कहा यह सच
है कि ईश्वर के नाम अनेक हैं किसी नाम वृक्ष की पत्तियों से अधिक है और मैं आपको
गॉड शब्द का प्रयोग करने के लिए भी कह सकता था लेकिन यहां के परिवेश में आपके लिये
उसका क्या अर्थ होगा गॉड शब्द के साथ यहां आपकी कौन सी भावनायें जुड़ी हुई हैं।
गॉड शब्द का जप करते समय आपको हृदय में उसे महसूस भी हो, उसके लिये मुझे आपको थोडी अंग्रेजी पढ़नी होगी।
मुझे विदेशों की जनता के विचार और उनकी मान्यताओं से भी आपको परिचित करना होगा, परंतु राम नाम जपने के लिये कहते हुए मैं आपको
एक एक ऐसा नाम दे रहा हूँ। जिसकी पूजा इस देश की जनता न जाने कितनी पीढि़यों से
करती आ रही है, यह एक ऐसा नाम है जो हमारे यहां के पशुओं, पक्षियों, वृक्षों और पाषाण
तक के लिए हजारों हजारों वर्षों से परिचित रहा है।
आप अहिल्या कि कथा जानते हैं पर
मैं देख रहा हूँ कि आप नहीं जानते पर, रामायण का पाठ करने से आपको पता चल जायेगा कि राम के स्पर्श
से ही कैसे सड़क के किनारे पड़ा। एक पत्थर प्राण युक्त सजीव हो गया था। राम के
नाम लेना आपको इतनी भक्ति व मधुरता के साथ लेना सीखना चाहिये कि उसके सुनने के
लिये पक्षी अपनी करलव बन्द कर दें उस नाम के एक संगीत पर मुग्ध होकर वृक्ष अपने
पत्र आपकी ओर झुका दें, जब आप ऐसा करने में
समर्थ हो जायेंगे तो मैं आपसे कहता हूँ कि मैं बम्बई से पैदल चल कर एक तीर्थ
यात्री कि भांति आपको सुनने आऊॅंगा। उसके मधुरिमा पग नाम में ऐसी शक्ति निहित है जो
हमारी सारी बुराईयों के लिए रामबाण है।
स्त्रोत:संन्थाल लोगों के बीच (पृष्ठ 291 धर्म नीति दर्शन) 11/5/1934
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