दलित-वंचित के नाम पर पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से जो हिंसक आदोलन प्रारंभ हुआ था, वह आज फिरौती और अपहरण का दूसरा नाम है। एक अनुमान के अनुसार नक्सली साल में अठारह सौ करोड़ की उगाही करते हैं। विदेशी आकाओं से प्राप्त धन संसाधन और प्रशिक्षण के बल पर भारतीय सत्ता अधिष्ठान को उखाड़ फेंकना नक्सलियों का वास्तविक लक्ष्य है।
गरीब व वंचितों का उत्थान नक्सलियों का लक्ष्य नहीं है। यदि यह सत्य होता तो सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के लिए किए जा रहे कायरें को बाधित क्यों किया जाता है? सड़कों को क्यों उड़ा दिया जाता है?
यूनेस्को की एक रिपोर्ट के अनुसार सन 2006 से 2009 के बीच नक्सल प्रभावित ‘लाल गलियारे’ में नक्सलियों ने तीन सौ विद्यालयों को बम धमाकों से उड़ा दिया। सन 2005 से 2007 के बीच नक्सली कैडर में बच्चों की बहाली में भी तेजी दर्ज की गई है। छोटी उम्र के बच्चों को शिक्षा से वंचित कर उन्हें बंदूक थमाने वाले नक्सली कैसा विकास लाना चाहते हैं?
यूं तो नक्सली आदोलन भूमिगत है, किंतु कुतर्क की भाषा बोलने वाले वस्तुत: धरातल पर दिखने वाले नक्सली आतंक के चेहरे हैं। नक्सली हिंसा का चेहरा, चाहे धरातल पर दिखने वाला हो या भूमिगत, उनका उद्देश्य भारत की बहुलतावादी संस्कृति और विशिष्ट पहचान को नष्ट करना है। यह भारत के खिलाफ एक अघोषित युद्ध है और इस युद्ध में भारत के खिलाफ भारतीयों का ही सफलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है।
देशद्रोही ताकतों के विरुद्ध लड़ाई में यदि आप निर्णायक ढंग से पूरी तरह देश के साथ नहीं हैं तो इसका सीधा-सीधा अर्थ है कि आप भारत के दुश्मनों के साथ हैं।
यूं तो नक्सली आदोलन भूमिगत है, किंतु कुतर्क की भाषा बोलने वाले वस्तुत: धरातल पर दिखने वाले नक्सली आतंक के चेहरे हैं। नक्सली हिंसा का चेहरा, चाहे धरातल पर दिखने वाला हो या भूमिगत, उनका उद्देश्य भारत की बहुलतावादी संस्कृति और विशिष्ट पहचान को नष्ट करना है। यह भारत के खिलाफ एक अघोषित युद्ध है और इस युद्ध में भारत के खिलाफ भारतीयों का ही सफलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है।
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