Saturday, January 28, 2017

British_Hindi_अंग्रेजी राज_हिंदी

जब भारत में अंग्रेजी राज आया तब अंग्रेजों ने देखा कि दरबारी भाषा फारसी और बोलचाल की भाषा उर्दू है, जिसे उन्होंने हिन्दुस्तान की भाषा हिन्दुस्तानी मान लिया। तीसरी भाषा फूहड़ हिन्दुवी थी, जो गंवार बोलते थे। शासन के निमित्त से भारतीय जीवन को पहचानते हुए धीरे-धीरे अंग्रेजों को फूहड़ हिन्दुवी का महत्व समझ आने लगा। उर्दू के मन में हिंदी के लिए यहीं से सौतियाडाह जागा। जो यह समझते है कि पाकिस्तान की मांग के पीछे उर्दू का एक बहुत बड़ा कारण है, शायद कुछ गलत नहीं समझते।

-अमृतलाल नागर
("हम हिंदी का उर्दूकरण क्यों नहीं चाहते" शीर्षक निबंध, साहित्य और संस्कृति)

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