Sunday, January 29, 2017

Struggle for Right_धर्मयुद्ध




पापी के साथ कैसा धर्मयुद्ध?


बाज़ार में मॉल कुछ बताएँगे और बेचेंगे कुछ तो फिर दोगले ही कहे जायेंगे. ऐसे में सौदा धोखा देना ही कहा जायेगा.


सो, कलाकार तो झूठा-दोगला होता नहीं. अब अगर यह कलाकार भी नहीं और जो कह रहे हैं उससे सरोकार भी नहीं!

तो फिर तो जूते ही खायेगें.


अब सब कोई आप की दृष्टि से ही दुनिया देखे फिर यह जरुरी नहीं.
अब अगर शाहबानो पर बहुमत वाली सरकार झुक गई तो पद्मिनी पर मामले में बाज़ार की क्या औकात है!


तिस पर ये फ़िल्मी तिजारत के कारोबारी है, जिन्हें समाज-देश-दुनिया से कोई सरोकार नहीं.


सो पापी के साथ कैसा धर्मयुद्ध?


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