Tuesday, September 11, 2018

Love_shadow_ghazal_जुदा_खुदा




रात की बोझिल आँखों में,
उसकी रोशनी का सपना तारी था.

अपनी यादों के समंदर में,
उसके होने का अहसास बाकी था.

क्या कहते-बुझते जुबान-दिल से हम,
जब उसकी नज़र की इनायत ही थी कम.

दिल के कुछ राज थे गहरे,
जिस पर थे उसकी नज़र के पहरे.

क्या बयान करते घाव जो थे गहरे इस कदर,
जिसकी उसकी नज़र को न थी कोई चिंता-न फ़िकर.

मेरे लिए होने न होने के अहसास से जुदा,
गर उसकी निग़ाह में था कोई दूसरा ही खुदा.



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