Saturday, September 22, 2018
RSS_in view of Mahatma Gandhi to Mohan Bhagwat_संघ दृष्टि: गांधी से लेकर भागवत तक
आरंभ में जो प्रार्थना गाई गई, जिसमें भारत माता, हिंदू संस्कृति और हिंदू धर्म का गुणगान था। उन्होंने (गांधी) दावा किया कि वे सनातनी हिंदू हैं। उन्होंने “सनातन” शब्द के मूल अर्थ बताया। हिंदू शब्द का सच्चा मूल क्या है, यह बहुत ही कम लोग जानते हैं। यह नाम हमें दूसरों ने दिया और हमने उसे अपना लिया। हिंदू धर्म ने दुनिया के सभी मतों की अच्छी चीजों को समाहित (अपने में पचा लेने की ताकत) किया है और इस अर्थ में यह एक विशिष्ट महजब नहीं है। इसी कारण उसका इस्लाम या उसके अनुनायियों के कोई झगड़ा नहीं हो सकता जो कि दुर्भाग्य से आज का मसला है।
जब अस्पृश्यता का विष हिंदू धर्म में प्रविष्ट हुआ, तो उसका पतन शुरू हुआ। एक बात निश्चित थी कि वे (गांधी) सार्वजनिक रूप से घोषित कर रहे थे कि अगर अस्पृश्यता कायम रहेगी तो हिंदू धर्म को मरना होगा। इसी प्रकार, अगर हिंदुओं का यह मानना है कि भारत में हिंदुओं को छोड़कर किसी और के लिए कोई स्थान नहीं है और यदि गैर हिंदुओं, विशेष रूप से मुस्लिम अगर यहां रहने की इच्छा रखते हैं, तो उन्हें हिंदुओं के दासों के रूप में रहना होगा तो ऐसा विचार रखकर वे हिंदू धर्म को समाप्त देंगे। इसी तरह से, यदि पाकिस्तान यह मानता है कि पाकिस्तान में केवल मुस्लिमों को ही रहने का हक है और गैर-मुसलमानों को वहां पीड़ित और उनके गुलामों की तरह वहां रहना पड़ेगा, तो यह भारत में इस्लाम के लिए मौत की घंटी होगी।
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