गाय_ डाॅक्टर भीमराव अम्बेडकर
पुरातन तथा आधुनिक हिन्दुओं को खेती से पुरानत यूनानियों से भी अधिक प्रेम है। यह बात इस तथ्य से स्पष्ट हो जाती है कि वे गाय की पूजा करते हैं। हिन्दुओं की गाय के प्रति श्रद्वा अधिकांश विदेशियों के लिए एक पहेली बनी हुई है और सबसे बड़ी बात यह है कि उन अधपके धर्म-प्रचारक मिशनरियों के लिए एक आकर्षण है, जो अपने धर्म प्रचार के लिए भारत आकर हिन्दुओं को ठगते हैं।
गाय की पूजा के पीछे वही आर्थिक भावना है, जो रोम में देवताओं को बिना छांटी अंगूर की शराब न देने की पीछे हैं। गाय और इसी तरह के अन्य पशु किसानों के प्राण हैं। गाय बैलों को जन्म देती है, जो खेत जोतने के लिए अति आवश्यक हैं। यदि हम गाय को गोश्त के लिए मार देते हैं तो अपनी खेती की सम्पन्नता को खतरे में डालते हैं। पूरी दूरदर्शिता से प्राचीन हिन्दुओं ने गाय का मांस खाने पर रोक लगा दी और इस प्रकार गायों का मारा जाना रोका। लेकिन इसके पीछे धार्मिक स्वीकृति भी होनी चाहिए। इसलिए पुराने हिन्दू धार्मिक साहित्य में गाय के बारे में विभिन्न कथाएं पाईं जाती हैं।
-डाॅक्टर भीमराव अम्बेडकर वाड्मय, भाग 23 (प्राचीन भारतीय वाणिज्य, अस्पृश्य तथा पेक्स ब्रिटानिका), पेज 8
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