Thursday, August 20, 2020

Mahatma Gandhi_Radio_letter to Sardar_रेडियो को लेकर गांधी का मत_सरदार पटेल

 




रेडियो को लेकर गांधी का मत

महात्मा गांधी ने 10 अक्तूबर, 1946 को नई दिल्ली में कागज की एक पर्ची पर सरदार पटेल को लिखा था। 

"मुझे रेडियो से राष्ट्र को संबोधित करने का प्रस्ताव निरर्थक है। वास्तविक रूप से गरीब व्यक्ति के लिए रेडियो सुनना संभव ही नहीं है। इस कारण मैं इस बात को लेकर तनिक भी उत्साहित नहीं हूं"।

Tuesday, August 18, 2020

Writers on Writing

 



अक्षर ज्ञान जो हमारा हुआ उसके बाद घर में जो भी पढ़ने-लिखने को मिला उसको पढ़ने का चस्का लग गया। पढ़ने के चस्के ने ही अंततोगत्वा मुझे लेखक बनने की प्रेरणा दी।

-अमृतलाल नागर, अपने पढ़ने-लिखने की बात पर, अज्ञेय को वर्ष 1981 में एक पत्रिका 'अभिरुचि' को दिए एक साक्षात्कार में 




Monday, August 17, 2020

data news_तथ्यात्मक आकंड़ों की सूचना

 



अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सरकारी व्यक्ति
वर्ष १९५० में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सरकारी व्यक्तियों की कुल संख्या १३३२ थी.


दिल्ली में १९४९ में सड़क दुर्घटनाओं में हुई थी, २७ व्यक्तियों की मृत्यु
दिल्ली में वर्ष १९४९ में सड़क दुर्घटनाओं में २७ व्यक्तियों की मृत्यु हुई थीं, जिसमें पुरानी दिल्ली के दस और नयी दिल्ली में 17 व्यक्ति थे. तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री ने संसद के पहले सत्र (दस मार्च १९५०) में यह जानकारी दी थी.

Sunday, August 16, 2020

History of Sardar Patel Works_सरदार पटेल के ऐतिहासिक कार्य


केवल एक मत से हुए विजयी 

5 जनवरी 1917 को सरदार पटेल पहली बार गुजरात की राजधानी अहमदाबाद की नगरपालिका के पार्षद चुने गए थे। तब उन्होंने दरियापुर सीट से चुनाव लड़ा था और केवल एक वोट से जीत प्राप्त की थी। वर्ष 1924 में, वे अहमदाबाद नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गए।


स्वास्थ्य जांच की सार्वजनिक प्रयोगशाला की स्थापना

देश के स्वतंत्र होने से पूर्व वर्ष 1921 तक केवल पुणे और कराची में दो स्वास्थ्य की जांच की सार्वजनिक प्रयोगशालाएँ थीं। सरदार पटेल ने रोगों की रोकथाम के लिए ऐसी प्रयोगशालाओं की आवश्यकता का अनुभव किया, जिससे पानी और खाने-पीने की वस्तुओं की गुणवत्ता सुनिश्चित हो। सरदार पटेल की इसी दूरदृष्टि का का परिणाम थी, अहमदाबाद के शाहीबाग में दुधेश्वर वाटरवक्र्स परिसर में एक तीसरी प्रयोगशाला की स्थापना। 


पटेल के सफलतापूर्वक लड़ा था, भ्रष्टाचार का मुकदमा 

अहमदाबाद नगरपालिका में सरदार पटेल और 18 दूसरे पार्षदों के विरुद्व भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। 28 अप्रैल, 1922 को अहमदाबाद जिला अदालत में 1.68 लाख रुपए की राशि के धन के गलत ढंग से खर्च का मामला दर्ज किया गया था। सरदार ने इस कदाचार के मामले में अपना सफलतापूर्वक बचाव किया। उसके बाद, वर्ष 1923 में उन्हें बम्बई उच्च न्यायालय में इस मामले का सामना करना पड़ा। वहां भी सरदार ने इस मामले का सामना किया और सफलता प्राप्त की।


पहला गुजराती टाइपराइटर

वर्ष 1924 में सरदार पटेल ने सबसे पहले गुजराती भाषा में टाइपराइटर के निर्माण की दिशा में पहल की थी। उनकी दूरदर्शिता का ही परिणाम था कि अहमदाबाद नगरपालिका ने इस कार्य के लिए रेमिंगटन कंपनी का चयन किया था। इस कंपनी ने गुजराती भाषा में पहला टाइपराइटर बनाया, जिसके लिए कंपनी को 4,000 रुपए की राशि का भुगतान किया गया था।


पटेल ने स्थानीय चुनावों में स्त्रियों की समान भागीदारी को सुनिश्चित करने में निभाई प्रभावी भूमिका  

सरदार पटेल जिला नगरपालिका अधिनियम में लिंग के आधार पर अयोग्य घोषित करने वाले भेदभावकारी प्रावधान के विरुद्व आवाज उठाने वाले पहले व्यक्ति थे। इस अधिनियम की धारा 15 (1) (सी) के अनुसार स्त्रियों के चुनाव लड़ने से रोक थी। इस विषय पर 13 फरवरी, 1913 को अहमदाबाद नगरपालिका की आम सभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया। सरदार पटेल का कहना था कि स्त्रियों को निर्वाचित स्थानीय निकाय में सम्मिलित न करने का अर्थ शहरी जनसंख्या के आधे हिस्से को उसके अधिकारों से वंचित रखना था। उनके प्रभावी विरोध और सकारात्मक हस्तक्षेप का ही परिणाम था कि वर्ष 1926 में धारा 15 (1) (सी) को समाप्त कर दिया गया।

स्त्रोत : https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/10-things-to-know-about-sardar-vallabhbhai-patel/against-building-statues-and-memorials/slideshow/62084266.cms

Saturday, August 15, 2020

Partition of Indian Railways_1947_विभाजन में बंटी भारतीय रेलवे की कहानी_1947

 




अविभाजित भारत के विभाजन में बंटी भारतीय रेलवे की कहानी


अगस्त 1947 में महजब के नाम पर खंडित अखंड भारत की स्वतंत्रता का परिणामस्वरूप भारतीय रेल का भी विभाजन हुआ। उत्तर पश्चिम और बंगाल असम रेलवे का बंटवारा हुआ। मुस्लिम जनसँख्या के बहुमत वाले पाकिस्तान के भाग में आने वाली उत्तर पश्चिम रेलवे का नाम जस का तस "उत्तर पश्चिम रेलवे" रहा। जबकि भारत के भाग में आए क्षेत्र, जिसमें दिल्ली और फिरोजपुर डिविजन सम्मिलित थे, को "पूर्वी पंजाब रेलवे" का नाम दिया गया। 

इसी प्रकार, बंगाल में पाकिस्तान के भाग में आने वाले बंगाल असम रेलवे का ब्राॅड गेज रेल लाइन के हिस्से को "पूर्वी बंगाल रेलवे" का नाम दिया गया।

चांदमारी के दक्षिण वाले ब्राॅड गेज रेल लाइन के हिस्से का एक नया डिवीजन बनाया गया। इसे "सियालदाह डिविजन" के रूप में पूर्वी भारत रेलवे के साथ सम्बद्ध किया गया।

भारत के हिस्से में आए गीतालदाह और बदरपुर की सीमा के आगे का बंगाल असम रेलवे का मीटर गेज रेलवे लाइन के क्षेत्र को "असम रेलवे" का नाम रखा गया। 

इसके साथ ही, पाकिस्तान के क्षेत्र से बाहर बंगाल असम रेलवे के पश्चिमी मीटर गेज लाइन के हिस्से को अवध तिरूहत रेलवे के साथ सम्बद्ध कर दिया गया। 

देश के विभाजन के समय भारतीय रेलवे की कुल पूंजी संपत्ति का मूल्य लगभग 700 करोड़ रूपए था। 15 अगस्त 1947 को अविभाजित हिन्दुस्तान की 40,524 मील लंबी रेल लाइनों को दो भागों में विभाजित किया गया। इसमें पाकिस्तान के क्षेत्र में गए सिंध, उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत, पश्चिमी पंजाब और पूर्वी बंगाल में 6,659 मील लंबी रेल लाइनें गई। जबकि भारत के क्षेत्र में शेष 33,865 मील की रेल लाइनें आई।


First Cabinet of Independent India_स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल के गठन की अधिसूचना_१५ अगस्त १९४७


 


स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल

के गठन की अधिसूचना


(१५ अगस्त १९४७, शुक्रवार को
नई दिल्ली से जारी)

Friday, August 14, 2020

Post Office on Wheels_पोस्ट ऑफिस ऑन व्हील्स

 




पोस्ट ऑफिस ऑन व्हील्स   

भारत में पहली बार मई, 1948 में महाराष्ट्र के नागपुर पोस्ट सर्किल के वर्धा के आसपास के 38 गांवों में डाक से चिठ्ठी-पत्र पहुंचाने के लिए "पोस्ट ऑफिस ऑन व्हील्स" यानी "पहियों पर डाकघर" का प्रयोग किया गया था। इस कार्य के लिए, एक मोटर वैन को क्षेत्र के नागरिकों की सुविधा के लिए डाक-वितरण के लिए तैनात किया गया था। यह वैन करीब 400 मील की दूरी का चक्कर लगाकर, डाक को एकत्र करने और पहुंचाने, डाक टिकटों सहित अन्य डाक सामग्री की बिक्री, मनीआर्डर लेने और रजिस्ट्री का काम करती थी। 

Tuesday, August 11, 2020

Gandhi_First Radio Broadcast_Asian Relations Conference_रेडियो_महात्मा गांधी_एशियन रिलेशन्स कान्फ्रेन्स

 



भारत में रेडियो पर महात्मा गांधी की आवाज सबसे पहली बार दो अप्रैल 1947 को प्रसारित हुई। इस प्रसारण का कारण था, दिल्ली में आयोजित अंतर-एशियाई संबंध सम्मेलन। 


उल्लेखनीय है कि गांधी ने दो अप्रैल 1947 को दिल्ली हुए "एशियन रिलेशन्स कान्फ्रेन्स" के अंतिम सत्र को सम्बोधित किया था। दस दिनों तक चले अंतर-एशियाई संबंध सम्मेलन का अंतिम सत्र महत्वपूर्ण परिचर्चा वाली गतिविधियों का एक शानदार समापन था। 


इस अवसर पर भारत कोकिला सरोजिनी नायडू ने महात्मा गांधी का परिचय "उस समय के महानतम एशियाई व्यक्तियों में एक" के रूप में दिया। जिसके उत्तर में, वहां उपस्थित 20,000 से अधिक आगंतुकों, प्रतिनिधियों और पर्यवेक्षकों ने गांधी का करतल ध्वनि से स्वागत किया। गांधी ने इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री डॉक्टर शजरियार के भाषण के उपरांत अपनी बात रखी।


इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मैंने अंग्रेजी इतिहासकारों की लिखित पुस्तकों के अध्ययन से अपना इतिहास जाना है। हम अंग्रेजी इतिहासकारों की लिखी किताबें पढ़ते हैं, लेकिन हम अपनी मातृभाषा में या राष्ट्रभाषा हिंदुस्तानी में अपनी किताबें नहीं लिखते हैं। हम अपनी मूल पुस्तकों की अपेक्षा अंग्रेजी पुस्तकों के माध्यम से अपने इतिहास का अध्ययन करते हैं। यह हिन्दुस्तान की सांस्कृतिक पराजय है, जिसके कारण भारत को गुलामी के कालखंड से गुजरना पड़ा है।


महात्मा गांधी के भाषण का आडियो लिंक।




Saturday, August 8, 2020

United India Map speculating on a possible division of India_Daily Herald newspaper_4th June 1947_अविभाजित भारत का मानचित्र


भारत के संभावित विभाजन की संभावनाओं को चित्रित 

करता हुआ अविभाजित भारत का मानचित्र।
दैनिक हेराल्ड अखबार, 4 जून 1947


 

Friday, August 7, 2020

Historic events_Independence Day_देश की स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाएं

 




रोशनी में नहाया पुरानी दिल्ली का घंटाघर, 

आज़ादी के कुछ साल बाद यह ढह गया था. 




स्वतंत्रता दिवस पर था, दो दिन का सरकारी अवकाश

भारत सरकार ने एक नए भारतीय संघ के उद्घाटन की खुशी के अवसर पर 15 अगस्त (शनिवार) और 16 अगस्त 1947 (रविवार), दो दिनों के लिए, पूरे देश में अवकाश घोषित किया था। इस आशय के अवकाश की घोषणा के लिए एक अगस्त 1947 को बाकायदा सरकारी गजेटियर में एक अधिसूचना प्रकाशित की गई थी।

 


Coolies sacrificed lives for British Rail network in India_मजदूरों की लाशों पर बनी अंग्रेजी राज में रेल पटरियां









मजदूरों की लाशों पर बनी अंग्रेजी राज में रेल पटरियां 

वर्ष 1857 में भारत की पहली आजादी की लड़ाई के दो साल बाद बंगाल में भयंकर हैजा फैला था। वर्ष 1859 में इस हैजे की महामारी की मार के शिकार हुए थे, हजारों रेल मजदूर। ये मजदूर देश के सुदूर भागों से दो जून रोटी की तलाश में बंगाल पहुंचे थे। इन गरीब-गुरबा मेहनतकशों को रोटी तो नसीब हुई नहीं, पर वे मौत के सफर पर निकल गए। 

इयान जे. कैर की पुस्तक "बिल्डिंग द रेलवेज आफ द राज" के अनुसार, ’’रोजाना, बड़े पैमाने पर मजदूरों का आना जारी रहा। जबकि रेल इंजीनियर इन मजदूरों को एकबारगी में उनके रहने का इंतजाम करने में विफल रहे। मजदूरों की एक बड़ी आबादी वहां आने के कई दिनों बाद तक सिर पर छत का इंतजाम नहीं कर सकीं। जबकि हैजा उनके बीच में फैला हुआ था।‘‘

जाहिर तौर पर उस महामारी के लिए रेल पटरी निर्माण स्थल पर ही करीब 4000 कुलियों का देहांत हो गया। वैसे, अकेला अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन के लिए रेलमार्ग बनाने वाले मजदूरों का एकमात्र हत्यारा हैजा ही नहीं था। भारतीय कुली वर्ग मलेरिया, चेचक, टाइफाइड, निमोनिया, पेचिश, दस्त और अल्सर जैसी बीमारियों का भी खूब शिकार हुआ। रेल निर्माण के कुछ बड़े भागों में तो कभी-कभी कुल मजदूरों की 30 प्रतिशत या उससे अधिक आबादी किसी महामारी वाली बीमारी के कारण काल का ग्रास बनी। 

उदाहरण के लिए, वर्ष 1888 में, भारत में बंगाल-नागपुर लाइन के बीच रेल पटरी निर्माण के एक ही हिस्से में करीब 3,000 मजदूरों की मौत हुई। हालत इतनी खराब थी कि इन मृत मजदूरों के शवों को रेलवे लाइन के किनारे पर ही फेंक दिया गया। इन बेसहारा लाशों का कोई धनी-वारिस नहीं था। इस कारण यहां पर इस कदर असहनीय बदबू फैली कि शवों का ढेर लगाकार, उनका सामूहिक रूप से अंतिम संस्कार किया गया।


Thursday, August 6, 2020

A scene of Ramleela_रामलीला का एक दृश्य

 


A scene of Ramleela

(from Manuscript library, Allahabad)

रामलीला का एक दृश्य

(पांडुलिपि पुस्तकालय, इलाहाबाद के संग्रह से)


First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...