Saturday, August 15, 2020

Partition of Indian Railways_1947_विभाजन में बंटी भारतीय रेलवे की कहानी_1947

 




अविभाजित भारत के विभाजन में बंटी भारतीय रेलवे की कहानी


अगस्त 1947 में महजब के नाम पर खंडित अखंड भारत की स्वतंत्रता का परिणामस्वरूप भारतीय रेल का भी विभाजन हुआ। उत्तर पश्चिम और बंगाल असम रेलवे का बंटवारा हुआ। मुस्लिम जनसँख्या के बहुमत वाले पाकिस्तान के भाग में आने वाली उत्तर पश्चिम रेलवे का नाम जस का तस "उत्तर पश्चिम रेलवे" रहा। जबकि भारत के भाग में आए क्षेत्र, जिसमें दिल्ली और फिरोजपुर डिविजन सम्मिलित थे, को "पूर्वी पंजाब रेलवे" का नाम दिया गया। 

इसी प्रकार, बंगाल में पाकिस्तान के भाग में आने वाले बंगाल असम रेलवे का ब्राॅड गेज रेल लाइन के हिस्से को "पूर्वी बंगाल रेलवे" का नाम दिया गया।

चांदमारी के दक्षिण वाले ब्राॅड गेज रेल लाइन के हिस्से का एक नया डिवीजन बनाया गया। इसे "सियालदाह डिविजन" के रूप में पूर्वी भारत रेलवे के साथ सम्बद्ध किया गया।

भारत के हिस्से में आए गीतालदाह और बदरपुर की सीमा के आगे का बंगाल असम रेलवे का मीटर गेज रेलवे लाइन के क्षेत्र को "असम रेलवे" का नाम रखा गया। 

इसके साथ ही, पाकिस्तान के क्षेत्र से बाहर बंगाल असम रेलवे के पश्चिमी मीटर गेज लाइन के हिस्से को अवध तिरूहत रेलवे के साथ सम्बद्ध कर दिया गया। 

देश के विभाजन के समय भारतीय रेलवे की कुल पूंजी संपत्ति का मूल्य लगभग 700 करोड़ रूपए था। 15 अगस्त 1947 को अविभाजित हिन्दुस्तान की 40,524 मील लंबी रेल लाइनों को दो भागों में विभाजित किया गया। इसमें पाकिस्तान के क्षेत्र में गए सिंध, उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत, पश्चिमी पंजाब और पूर्वी बंगाल में 6,659 मील लंबी रेल लाइनें गई। जबकि भारत के क्षेत्र में शेष 33,865 मील की रेल लाइनें आई।


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