Thursday, October 31, 2013
Patel:Bureaucracy
Sardar Patel has a ambition to ensure the survival of a united India through the instrument of a strong civil service. Patel conceived of the Indian Administrative Service (IAS) replacing the then Indian Civil Service (ICS) of British rule. Not only this, Patel also conceived of the Indian Police Service (IPS) for police side. Both these administrative and police services are very much part of bureaucratic setup of the country and fully active today.
Hindi TV Channels
एक हिंदी के समाचार चैनल पर खबर चल रही थी, धमाके के पीड़ित ! और टीवी देखते-देखते सोने की बजाए जाग गया ।
अब तक 'दंगो के पीड़ित' तो सुना था पर अब धमाके के पीड़ित । धमाके में घायल तो समझ आता है पर लगता है कि हिंदी के समाचार चैनल मीडिया की मंडी में अपना एक नया 'शब्दकोश' ही गढ़ने में लगे है ।
यह प्रवृति अंग्रेजी चैनलों के बरगद के नीचे उगने वाले हिंदी के बोन्साई समाचार चैनलों में ज्यादा नज़र आती है जहाँ हिंदी समाचार पत्रिकाओं और चैनलों के नाम भी अंग्रेजी में होते है तो फिर उनसे 'भाखा' कि उम्मीद रखना मृगतृष्णा से ज्यादा कुछ नहीं ।
आखिर 'स्वर्ण मृग' नहीं होता इसका ज्ञान सीता को भी था और राम को भी पर फिर भी सीता ने 'स्वर्ण मृग' माँगा और राम उसके पीछे गए । अंग्रेजी चैनलों के बरगद के नीचे उगने वाले हिंदी के बोन्साई चैनलों से खांटी दर्शकों का नाता कुछ ऐसा ही है, जहां दर्शक सीता की तरह भाषा रूपी 'स्वर्ण मृग' की तृष्णा का मूल्य चुकाता है ।
अंग्रेजी चैनल के रिपोर्टर की खबर को ही अंग्रेजी-हिंदी की खिचड़ी में बोले वॉइस ओवर, टीवी के समाचार रिपोर्ट के अंत में टीवी रिपोर्टर का भाषण, के साथ चलने के कारण हिंदी चैनल में खांटी पत्रकारों की जगह तो सिकुड़ती ही है और साथ में खांटी दर्शक भी हिंदी कि पिच पर अंग्रेजी का लप्पा मारते पत्रकार को सामने पाकर खुद को ठगा हुआ-सा महसूस करता है । और फिर वही बौद्धिक विधवा विलाप कि विज्ञानं-प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष विज्ञान जान ने वाले हिंदी पत्रकार है ही नहीं तो फिर अंग्रेजी ही सुनिए और समझ न आए डिक्शनरी, नहीं शब्दकोश को लादे रखिए ।
अब इसमें 'विक्रम' कौन और 'बेताल' कौन आप भी बूझिए ।
Wednesday, October 30, 2013
Friday, October 25, 2013
Sardar Patel: New Delhi
Strange but true today it is quite forgotten that Sardar Patel lived at that the house, 1- Aurangzeb Road, in New Delhi for four years and toiled to weave together the physical fabric of the nation. The fact remains unknown and unsung.It seems to be that the right to erect memorials in the national capital must necessarily be the prerogative of some political families only.Patel had a different world view. A year before his death in 1949, he said, 'I have considered myself a soldier in the service of Hindustan and I shall be a soldier to the end of my life. May I cease to exist when I deflect from this path of service.'
यह एक हैरतअंगेज सच है कि आज इस बात को बिसरा दिया गया है कि सरदार पटेल ने चार साल तक नई दिल्ली स्थित 1-औरंगजेब रोड के घर में रहते हुए असंख्य रियासतों वाले ब्रिटिश इंडिया के एकीकरण की कठिन और महत्वपूर्ण प्रक्रिया के दायित्व का वहन करते हुए भारत को स्वाभाविक भौगोलिक एकता प्रदान की। यह तथ्य अनजाना और अप्रचारित ही है ।
ऐसा लगता है कि देश की राजधानी में स्मारक बनाने का अधिकार, कुछ चुनींदा राजनीतिक परिवारों का ही विशेषाधिकार बन गया है । पटेल की एक भिन्न विश्व दृष्टि थी । उन्होंने अपनी मृत्यु के एक वर्ष (1949) पहले कहा था, मैं स्वयं को हिंदुस्तान की सेवा करने वाला एक सैनिक मानता हूं और मैं अपने जीवन के अंत तक एक सैनिक ही बना रहूंगा । अगर मैं इस सेवा पथ से डिगा तो मैं रहूंगा ही नहीं।
Urdu: Anita Desai
'Urdu poetry? How can there be Urdu poetry when there is no Urdu language left? It is dead, finished. The defeat of the Mughals by the British threw a noose over its head, and the defeat of the British by the Hinduwallahs tightened it. So now you see its corpse lying here, waiting to be buried.'
This is not just the anguish of a living Urdu poet in Anita Desai's novel, but a summation of the anger of Urdu-speakers who were appalled by the treatment meted out to the language. The story of a weak, gasping poet in In Custody is also the story of Urdu language and literature.Source: http://www.rediff.com/freedom/03legacy.htm
Kabir: Kumar Gandharv
कुमार गन्धर्व का अमर निर्गुण गायन
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सखिया, वा घर सबसे न्यारा,
जहां पूरन पुरुष हमारा |
जहां नहीं सुख दुख, साच झूट नहीं,
पाप न पुन्य पसारा |
नहीं दिन रैन, चांद नहीं सूरज,
बिन ज्योति उजियारा....सखिया |
नहीं तह ज्ञान ध्यान, नहीं जप तप,
वेद कित्तेब न बानी |
करनी धरनी रहनी गहनी,
ये सब जहां हिरानी....सखिया |
धर नहीं अधर, न बाहर भीतर,
पिंड ब्रम्हंड कछु नाही |
पांच तत्व गुन तीन नहीं तह,
साखी शब्द न ताहीं....सखिया |
मूल न फूल, बेली नहीं बीजा,
बिना ब्रच्छ फल सोहे |
ओहम् सोहम् अर्ध उर्ध नहीं,
स्वास लेख न कौ है....सखिया |
जहां पुरुष तहवा कछु नाहीं,
कहे कबीर हम जाना |
हमरे संग लाखे जो कोई,
पावे पाद निर्वाना...सखिया |
स्त्रोत: https://www.youtube.com/watch?v=vyMnUiC8cq8
Thursday, October 24, 2013
Wednesday, October 23, 2013
Monday, October 21, 2013
khajuraho temples
‘‘यहां के मिथुन अंकन साधन हैं, साध्य नहीं। साधक की अर्चना का केंद्रबिंदु तो अकेली प्रतिमा के गर्भग्रह में है। यहां अभिव्यक्ति कला रस से भरपूर है। जिसकी अंतिम परिणति ब्रहम रूप है। हमारे दर्शन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की जो मान्यताएं हैं, उनमें मोक्ष प्राप्ति से पूर्व का अंतिम सोपान है काम।”
Nehru's tribute for Sardar Patel
Soon thereafter, the Sardar passed away in Bombay on December 15, 1950. In a moving tribute in the Lok Sabha Nehru recalled their long association and described (Sardar) Patel as "a friend and a colleague on whom one could invariably rely." He was, to use (Jawaharlal) Nehru's picturesque words,''a great captain of our forces in the struggle for freedom as well as in moments of victory.. a tower of strength to wavering hearts."
Patel: Rafiq Zakaria
Tough, determined, uncompromising and even unforgiving at times, the Sardar (Patel) was not vengeful; what Wordsworth said applies aptly to him:
In him the savage virtue of the race,
Revenge and ferocious thoughts were dead;
Nor did he change; but kept in lofty place
The wisdom which adversity had bred.
-Sardar Patel and Indian Muslims by Rafiq Zakaria
Sunday, October 20, 2013
Mahatma Gandhi on Sardar Patel
'My difficulty is that you are not by my side therefore I imitate Ekalavya, who, on being rejected by Dronacharya, learned to be an archer by keeping Dronacharya's clay idol before him I fashion your image every day and put my questions to it.'-Mahatma Gandhi on Sardar Patel in a letter wrote to him from another prison sorely missing his brass stack approach
मेरी कठिनाई यह है कि तुम मेरे साथ नहीं हो इसलिए मैं एकलव्य बनने का प्रयास कर रहा हूं, जिसने द्रोणाचार्य की अस्वीकृति के बाद अपने समक्ष द्रोणाचार्य की मिट्टी की प्रतिमा रखकर तीरंदाजी सीखी थी । मैं उसी तरह, तुम्हारी छवि का स्मरण करते हुए अपने प्रश्न उसके समक्ष रखता हूं ।
-महात्मा गांधी, कारागार से लिखे एक पत्र में सरदार पटेल के बारे में
Bihar Connect: Missing Link
मुझे तो लगता है मैं आज जो भी हू, उसमे मेरे बिहारी दोस्तों और सखियों का अमूल्य योगदान है।प्रत्यक्ष, परोक्ष, जाने, अनजाने। एक गांठ थी जो बनते बनते रह गयी तो एक सदा के लिए गांठ हो गयी। ईश्वर की माया स्वयं वह ही जाने, नहीं तो आईआईएमसी में एक बिहारन के ठाकुर-भूमिहार होने के सवाल का जवाब मुझे नहीं मालूम था, अब है तो फिर उसका श्रेय बिहार को ही है। अब तो मेरे ऑफिस में मुझे बिहारी ही माना जाता है, लगता है कोई पुराना कर्ज था, जो इस जन्म में उतारने का ईश्वर ने अवसर दिया है।
मन में आया सो लिख दिया, सोच कर कहा लिखा जाता है! कम से कम मुझसे तो नहीं क्योंकि न तो मैं बुद्धिजीवी की जमात में शामिल हूं और न ही लिखने की पात्रता पा सका हूं, ऐसा मेरे अपनो का ही मानना है, सो दिल्ली दूर-अस्त !
Saturday, October 19, 2013
Friday, October 18, 2013
Wednesday, October 16, 2013
State Bank of India-Woman CMD
हमारा बैंक अपने कर्मचारियों को आगे बढ़ने का भरपूर मौका देता है. अगर आप जी-जान लगाकर काम करते हैं तो उसका फल यहां जरूर मिलता है. स्टेट बैंक ऐसी जगह है जहां कर्मचारियों को तरह-तरह के काम करने के मौके मिलते हैं. मैंने पिछले 35 साल में 12 तरीके के काम किए. और ये सारे काम एक-दूसरे से जुड़े हुए नहीं, बल्कि एकदम अलग थे.
-अरुंधति भट्टाचार्य, सीएमडी, भारतीय स्टेट बैंक
Tuesday, October 15, 2013
Monday, October 14, 2013
Sunday, October 13, 2013
Indian Constitution: Right to Hear
संविधान बनानेवालों ने 'जीभ' की स्वतन्त्रता का बड़ा ध्यान रखा है । पर मनुष्य के दूसरे मौलिक अधिकार 'कान' की स्वतन्त्रता के बारे में चुप हैं । शोरगुल और जयजयकार की राजनीति में दीक्षित उन महापुरुषों को यह खयाल भी नहीं आया कि किसी नागरिक को 'बोर' करने का अधिकार अन्य नागरिक को नहीं ।
-कुबेरनाथ राय
Friday, October 11, 2013
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First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान
कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...