Monday, October 21, 2013

khajuraho temples



‘‘यहां के मिथुन अंकन साधन हैं, साध्य नहीं। साधक की अर्चना का केंद्रबिंदु तो अकेली प्रतिमा के गर्भग्रह में है। यहां अभिव्यक्ति कला रस से भरपूर है। जिसकी अंतिम परिणति ब्रहम रूप है। हमारे दर्शन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की जो मान्यताएं हैं, उनमें मोक्ष प्राप्ति से पूर्व का अंतिम सोपान है काम।”

-विद्यानिवास मिश्र, खजुराहो की कलाकृतियों की अवधारणा स्पष्ट करते हुए

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