कहानी लिखने का तो मुझे पता नहीं या कहूं मुझमें वह समझ नहीं. मुझे तो यह आपबीती सच को दूसरों के लिए झूठ लिखने सरीखा लगता है.
एक बार हिम्मत की तो कहानी लिखने के फेर में कुछ ऐसा लिख दिया कि मेरे लिखे पर एक दोस्त इतनी नाराज़ हो गयी कि उसने न केवल बात करनी बंद कर दी बल्कि मोबाइल और फेसबुक से भी मेरा नाम हटा दिया.
सो शुरू में ही हिम्मत चुक गयी.
No comments:
Post a Comment