Anupam Mishra_Prabhas Joshi_aaj bhi khare hain talab
पुस्तक का कवर
अनुपम (मिश्र) ने तालाब को भारतीय समाज में रखकर देखा है। सम्मान से समझा है। अदभुत जानकारी इकट्टी की है और उसे मोतियों की तरह पिरोया है। कोई भारतीय ही तालाब के बारे में ऐसी किताब लिख सकता है।
-प्रभाष जोशी, "आज भी खरे है तालाब" और उसके रचनाकार के विषय में
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