Wednesday, December 7, 2016

Jayalalita_Media portrayal Amma


तमिलनाडु में केवल कांची पीठ के डंडी वाले हिन्दू शंकराचार्य को ही नहीं अम्मा ने हिन्दू अखबार के अँग्रेजी-दा कामरेड कलमकारों को भी कारावास की सैर करवा दी थी। 

वैसे काले चश्मे वाले फ़िल्मकार-पूर्व मुख्यमंत्री को भी अम्मा का "रॉयल ट्रीटमेंट" मिला।

इतनी प्रगतिशील-इंसाफपसंद थी कि अगर न्यायालय का हस्तक्षेप नहीं होता तो प्रदेश की भगवान ही यानि अम्मा ही डंडी-कलम-चश्मे की मालिक होती।

सही में अम्मा को दिल्ली की पहली विदेशी-गुलाम वंश सल्तनत महिला सुल्तान "रज़िया सुल्तान" से लेकर "चोखेर बाली" तक के बारे में जरूर पता होगा।

तभी तो आज मीडिया के दिग्गजों की ओर से दिवंगत अम्मा के अक्स में ऐसी ही तस्वीरें चिपकाई जा रही है।

यह देखकर मुझे बचपन में अपने ननिहाल के गाँव की हथई (चौपाल) में सुनी मगरे की एक कहावत याद आ गई। जिसका हिन्दी में ऐसे कह सकते हैं, "बियावन श्मशान में शव तो बोलते-सुनते नहीं, सो प्रेत उनकी कमी पूरी करते हैं।"

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