Friday, July 10, 2020

History of Government Media_सरकारी मीडिया का इतिहास





भारत की आजादी से पहले रेडियो विभाग की ओर से श्रोताओं को प्रसारित होने वाले आगामी रेडियो कार्यक्रमों की जानकारी देने के लिए पाक्षिक पत्रिकाएं निकलती थीं। तब तीन भाषाओें में प्रकाशित होने वाले इन पाक्षिक पत्रिकाओं के नाम 'इंडियन लिसनर' (अंग्रेजी), 'सारंग' (हिन्दी) और 'आवाज' (उर्दू) थे। अप्रैल 1944 में, इन पत्रिकाओं की प्रचार संख्या 63,350 थी। आकाशवाणी दिल्ली की ओर से जुलाई, 1938 में देवनागरी लिपि में प्रकाशित हिंदी पाक्षिक पत्रिका 'सारंग' निकलनी आरम्भ हुईइस पत्रिका में विभिन्न रेडियो स्टेशनों के कार्यक्रमों के विवरण, उनसे जुड़ी रोचक जानकारियां और कलाकारों के छायाचित्रों का दुर्लभ संकलन प्रकाशित हुए जो कि अब प्रसार भारती के अभिलेखागार में उपलब्ध है। जनवरी, 1958 से 'सारंग' पत्रिका का नाम बदलकर “आकाशवाणी (हिन्दी)” कर दिया गया। “आकाशवाणी (हिन्दी)” और आकाशवाणी (अंग्रेजी) पत्रिकाओं का प्रकाशन वर्ष 1984 तक हुआ। (29072020)


आल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) के पटना प्रसारण स्टेशन से 26 जनवरी 1948 को प्रसारण आरंभ किया गया। यह प्रसारण 6.3 मीटर की वेव लैंथ (1131 केसी/एस) पर हुआ। श्री बी.एस. मरढेकर पटना स्टेशन के पहले स्टेशन निदेशक नियुक्त किए गए थे।(23072020)


हिन्दुस्तान के आजाद होने के बाद जम्मू और कश्मीर राज्य में रेडियो कश्मीर के श्रीनगर स्टेशन का उद्घाटन 2 जुलाई, 1948 को हुआ था। उसी दिन वहां से कश्मीरी और उर्दू भाषा में रेडियो कार्यकम का प्रसारण भी शुरू हुआ। रेडियो कश्मीर के श्रीनगर स्टेशन की शुरुआत में, प्रसारण का एकमात्र प्रमुख उद्देश्य श्रोताओं (सुनने वालों) को देश और राज्य में होने वाली घटनाओं से परिचित करवाने के साथ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (रेडियो आजाद कश्मीर) और उसके दूसरे प्रसारण स्टेशनों से कश्मीर और भारत के खिलाफ होने वाले दुष्प्रचार का मुकाबला करना था। यह चरण नेहरू-लियाकत संधि पर हस्ताक्षर होने तक नियमित रूप से जारी रहा। (16072020)

स्त्रोत: द रेडियो प्ले इन कश्मीरः अली मोहम्मद लोन, इंडियन लिटरेचर, जनवरी-जून 1973 अंक


अठारहवीं शताब्दी के दौरान भारत में पहली बार समाचार पत्र का प्रकाशन आरंभ हुआ। अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी समाचार पत्रों को सूचना देने के पक्ष में नहीं थी। यही कारण था कि भारत में 29 जनवरी 1780 को हिक्की का 'बंगाल गजट' या 'द ओरिजनल कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर' नामक पहला अंग्रेजी अखबार निकालने वाले आयरलैंड के जेम्स ऑगस्टस हिक्की को सजा के साथ कारावास भी भुगतना पड़ा। तब कंपनी सरकार ने समाचार पत्रों को जानकारी देना अपनी प्रतिष्ठा के विरुद्ध माना था। वर्ष 1836 में, तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड ऑकलैंड ने काबुल और उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत से प्राप्त खुफिया सूचनाओं के संकलन समाचार पत्र के संपादकों को देने की परंपरा शुरू की। वह बात अलग है कि कुछ समय बाद ही सरकार ने सूचना साझा करना बंद कर दिया। 

(14 072020)


देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ हुए विभाजन का दंश देशवासियों के साथ ऑल इंडिया रेडियो को भी झेलना पड़ा। आजादी के साथ हुए हिंदुस्तान के बंटवारे का परिणाम यह हुआ कि 15 अगस्त, 1947 को ऑल इंडिया रेडियो के पास भारत में केवल दिल्ली, बंबई, कलकत्ता, मद्रास, लखनऊ और तिरुचिरापल्ली के छह रेडियो स्टेशन ही बचे थे। नवंबर, 1947 में, भारतीय पंजाब में अमृतसर में एक रिले स्टेशन के साथ जालंधर में एक स्टेशन खोला गया। जबकि जनवरी, 1948 में, बिहार के पटना और ओड़िशा के कटक में दो और रेडियो स्टेशन खोले गए। इस तरह, 1947-48 के वित्तीय वर्ष के अंत में देश में रेडियो स्टेशनों की कुल संख्या बढ़कर नौ हो गई।(11072020)


आज की पीढ़ी में इस बात से कम लोग ही परिचित है कि देश के स्वतंत्र होने के बाद रेडियो सेट इंगलैंड से आयात होते थे। आयातित रेडियो सेटों के महत्व का आकलन इस बात से किया जा सकता है कि भारत सरकार ने जनवरी 1948 में बाकायदा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। इस प्रेस विज्ञप्ति में इस बात का खंडन किया गया था कि भारत ने यूनाइटेड किंगडम से एक लाख सस्ते रेडियो सेट आयात करने का आदेश दिया है। (10072020)


No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...