Friday, May 23, 2014

Ab-normal ( 'विशेष'-'साधारण')

 
 'विशेष' में कुछ नहीं होता है, 'साधारण' बनकर जीना और रोज़ नए सिरे से लड़ाई के लिए तैयार हो जाना ही मानो नियति हो गयी है, सो एक मोर्चा और सही.…।
अच्छे दिन तो अपने भी आएंगे कभी ना कभी, ऐसा वायदा है जिंदगी का .…।

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