हिंदू विचार साम्प्रदायिक विचार नहीं है। किसी विशेष जाति या सम्प्रदाय की दूसरी जातियों और सम्प्रदाय से अलग करके हिंदू विचारों का निर्माण नहीं हुआ है। जब यह विचार ईश्वरवादिता से मुक्त है, तो साम्प्रदायिकता से कैसे जकड़े रह सकते हैं।
-रघुपति सहाय फिराक (भूमिका-बज्मे जिन्दगीः रंगे शायरी)
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