Sunday, May 25, 2014

Media Discourse and common man (मीडिया का विमर्श)



पिछली केंद्र सरकार में पूड़ी-हलवा जीमने वाले चैनल के कर्ता-दर्ता और आम आदमी की माला जपने वाले अब कलम तोड़ कर लिख रहे हैं कि "कांग्रेस को अब भुला दिया जाना चाहिए।"
चुटकी भर नमक की वफादारी तो बनती है पर नहीं इतना सब्र किसे हैं, इस एटीएम के तुरत-फुरत के ज़माने में टाइम खोटी करने को कौन तैयार है ?
सो, इतना भर बचा है महात्मा गांधी के अंतिम आदमी के लिए कि वह आज के मीडिया का विमर्श समझें।  वैसे भी, प्रेस क्लब से पार्लियामेंट की बीच में अंतिम आदमी के लिए जगह बची ही कहाँ है !
"सत्ता के रंग हजार, रंगे हुए हैं ये पत्रकार"

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...