आधुनिक उत्तर प्रदेश स्थित कालिंजर के चन्देल राजा परमार्दिदेव (परमाल ११६५-१२०३ ईस्वी) के आश्रयी (भाट) कवि जगनिक ने परमाल के सहायक और महोबा के सामंत बंधु आल्हा और ऊदल के नाम पर "आल्हखण्ड" रचा।
इसे जन-साधारण में 'आल्हा' नाम से इतनी प्रसिद्धि मिली कि लोकमानस में "आल्हा-ऊदल" दोनों भाई सदा के लिए अमर हो गये। इस मूल काव्य की प्रति के अप्राप्त होने के बावजूद आज भी यह लोकमानस की स्मृति में कायम है।
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