Wednesday, June 18, 2014

News anchor-newsticker (बोलने और लिखने का फर्क)




अभी एक हिंदी का चैनल केंद्र सरकार के मंत्रियों के निजी सचिवों की खबर बता रहा था और उसकी खबरों की पट्टी बता रही थी मंत्रियों के सचिव ! 
जबकि केंद्र सरकार के मंत्रालयों में काबीना मंत्री के बाद नौकरशाही में सचिव, जो कि अमूनन आईएस ही होता है, सबसे बड़ा अधिकारी होता है और निजी सचिव उस कड़ी में सबसे कनिष्ठ हालांकि वह भी निदेशक स्तर का आईएस ही होता है।

खबर थी चेन्नै के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (एडिशनल सीपी), यातायात की और महिला प्रस्तोता (एंकर) कह रही थी एसपी (पुलिस अधीक्षक), ट्रैफिक !
जबकि एक एसपी को एडिशनल सीपी बनने में कम से कम दस साल लग जाते हैं।
अगर पत्रकारिता की भाषा में कहे तो यह ऐसा ही कुछ हुआ कि आप ब्यूरो चीफ को चीफ रिपोर्टर बताएं कि दर्शक है, कुछ भी परोसो सब भकाभक जीम जाएंगे।
फिर लगा एंकर भी क्या करें जो स्क्रॉल पर आया पढ़ दिया और जो लिखा मिला पट्टी पर चला दिया।
पता नहीं चैनलों के संपादकों देश-दुनिया की फिक्रमंदी के बाद अपने चैनल की समाचार की पट्टी देखने का समय मिलता भी है या नहीं।


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