जिंदगी मिलेगी दुबारा
किसी मोड़ पर
चुपके से झांकते हुए
इस बार तैयार रहना
मत चूक जाना
फिर दुबारा
नहीं तो कहोगे
इसमें मेरा क्या कसूर
नहीं पहचान पाया दुबारा
कितने रूपों में
आती है याद उसकी
कितनी बार दुबारा
न जाने वाले मेहमान की तरह
घर में आ जाती है
बिन बुलाए दुबारा
अब क्या बताऊं
जब मैं ही
भरम में हूं दुबारा
रहने भी दो
जैसे हो ठीक है
होना क्यों चाहते हो
पहले जैसे दुबारा
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