आज एक बचपन का साथी, जो अब कॉलेज पढ़ाता है, रात को प्राइम टाइम में एक चैनल पर चर्चा देख कर बोला कि यार तुम मीडिया वाले भी कितने अपढ़ हो, लेक्चरर, सीनियर लेक्चरर, रीडर और प्रोफेसर का अंतर भी नहीं रखते सब को प्रोफेसर साहिब बना देते हो।क्यों न हो मैं भी अपने मित्र को प्रोफेसर ही बुलाता हूँ और मोबाइल में भी उसका नंबर प्रोफेसर नाम से ही डाला हुआ है।पर बात थी मीडिया की अपढ़ता की तो फिर इंकार कैसा ?अब भला समाचार चैनलों में टिकर देखने और नाम के पट्टी चलाने वालों को कोई यूजीसी का नेट तो देना नहीं होता फिर भी कभी कभी भाषा के जाल में उलझ जाते है, नैना मोरे नैना।इस बार फिर से टीवी स्क्रीन पर कोई प्रोफेसर की पट्टी दिखी तो मैं गांधारी को याद करते हुए अपने दिमाग पर पट्टी बांध लूंगा।
Thursday, June 5, 2014
Facts on Screen (टीवी स्क्रीन पर पट्टी)
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